वास्तु शास्त्र की रंग युक्तियाँ – घर के शांत और संपन्न वातावरण के लिए

Rita Deo Rita Deo
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वास्तु में आपके व्यवहार, शिक्षा और मूड को प्रेरित करने की शक्ति है। कई सालो से आध्यात्मिक शक्तियों के ज्ञानी लोगों ने घर के अंदर स्वछता और स्वस्थ बनाये रखने के लिए वास्तु के अनुकूल रंगो का प्रयोग किया है। इस ज्ञान के अनुसार घर की हर दिशा एक विशेष रंग से जुड़ी होती है और बहुतायत और समृद्धि लाने में मद्दद करती है। आइए देखें कि घर के किस हिस्से में कौन से रंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:।

दक्षिण पश्चिम

भूरा रंग संतोष, संतुष्टि, आराम और पृथ्वी तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं, एक मर्दाना रंग होने के नाते यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने जीवन से संतुष्ट हैं। इस रंग को बैठक या गलियारे के इलाके में इस्तेमाल करने से सबसे उत्तम लगता है ।

दक्षिण – गुलाबी लाल

वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में बेडरूम रहना चाहिए और उस हिस्से में जुनून और गर्मजोशी के रंग होने चाहिए। लाल रंग कामना, भौतिकवाद, आक्रामकता, जुनून, गर्मी, क्रिया, नाटक, ऊर्जा, शक्ति और जीवंतता का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। उन क्षेत्रों में लाल रंग का इस्तेमाल करें जहाँ  आप गर्मजोशी और ऊर्जा उप्तन्न करना चाहते हैं क्योकि लाल एक ऐसा रंग है जो घर की दक्षिणी दीवारों में जोश भर सकता है।

पश्चिम – नीला

घर की पश्चिम दिशा में पानी का श्रोत होना चाहिए और तार्किक रूप से, नीला रंग पानी का प्रतीक है। ये रंग पानी के इलावा, आकाश का है और सौंदर्य, शांति, भक्ति, संतोष, दया और सच्चाई के भावनाओ का प्रतिनिधित्व करता है। उन क्षेत्रों में नीले रंग का उपयोग करने की कोशिश करें जो थोड़े बड़े होते हैं क्योंकि यह एक छोटे से स्थान पर लागू हो जाने पर वो स्थान अंधकारमय हो जाएगा। सुनिश्चित कर लें, आपने अपने घर में नीले रंग के हल्के या गहरे रंगों के लिए कौन सा स्थान सबसे उपयुक्त है ताकि उनकी गुणवत्ता उभर कर नज़र आये ।

उत्तर – हरा

हरे रंग के कई अंदाज़ हैं जिनके साथ अपने घर के उत्तरी कोने को पेंट करके  घर में उर्वरता, समृद्धि,      निश्चयात्मकता, और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन कर सकते हैं क्योकि ये रंग और दिशा धरती को प्रमाणित करते हैं। इसके  उपचारात्मक और स्वास्थ्यप्राद शक्तियों के कारण ये अस्पतालों में अधिक इस्तेमाल होता है । इसका उपयोग घर के हर हिस्से में जो उत्तर की दिशा में हो अधिक से अधिक उपयोग करें ।

पूर्व – सफेद

सफेद रंग, खुलेपन, स्वच्छता, सादगी, निर्दोषता, शुद्धता और विलासिता का प्रतीक है और नववरवधू के लिए, यह गोपनीयता और अंतरंगता भी प्रदान करता है। इसलिए शयनकक्ष के कुछ हिस्सा हमेशा सफेद रंग में रहना चाहिए क्योंकि यह  अहंकारपूर्ण वातावरण में संतुलन लाकर शांति फैलता है। स्मार्ट रोशिनी से भरने के लिए यहाँ सफेद रंग से पूरी छत को पेंट किया गया है ।

उत्तर पूर्व-पीला

सकारात्मक विचार, आशावाद, रोशनी, खुलेपन, बुद्धि, स्थिर मन, खुशी, एकाग्रता और धन-अगर आप इन तत्वों में से किसी के लिए भी उत्सुक हैं, तो पीले रंग को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में ज़रूर अपनाएं।   पूजा घर, भोजन कक्ष या गलियारे, ये रंग कही भी अच्छे परिणाम हासिल करने के लिए उपयोग किया जा सकता है, चाहे इससे आप कमरे का छोटा हिस्सा या बड़े स्थान के लिए इस्तेमाल किया जाए।

दक्षिण पूर्व – चांदी सफेद

सामान्य सफेद रंगों से थोड़ा सहारा लें और चांदी के सफेद रंगों से घर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को अलौकिक चमक दें। यह मज़ेदार और समृद्धि से भरा स्वस्थ वातावरण का प्रतिनिधित्व करने वाला रंग है।

उत्तर पश्चिम-सफेद

घर के उत्तर-पश्चिम हिस्सों को भी पूर्वी दिशा की तरह सफ़ेद रंग से चित्रित किया जाता है क्योकि यहाँ भी शान्ति और संतुलन का होना ज़रूरी है।

रंगो के मोहजाल से आगे बढ़कर जानिये के कैसे वास्तु विचारो से घर में समृद्धि का आगमन किया जाए।

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